*चरित्र वान से सभी डरते हैं डॉ मदन मोहन मिश्र मानस कोविद*
निर्बल बलवान से डरता है, निर्धन धनवान से डरता है मूर्ख विद्वान से डरता है किन्तु ये तीनों चरित्र वान से डरते हैं।यह बातें धर्मनपुर में आयोजित त्रिदिवसीय श्रीराम कथा महोत्सव में डॉ. मदन मोहन मिश्र ने कहा।
जीव रूपी किसान साधना रूपी खेती में सत्कर्म रूपी धान लगाता है तो उसमें प्रशंसा का पानी बरसता है तो अहंकार रूपी घास उगती है विवेक रूपी खुरपी से अहंकार की घास निकाल देता है तभी सत्कर्म का धान घर में आता है। प्रशंसा में व्यक्ति को हमेसा सावधान रहना चाहिए।
मऊ से पधारे श्री रीतेश जी रामायणी ने कहा कि नारी में यदि चारित्रिक बल है तो उसका कोई भी बालबांका नहीं कर सकता। आगे केवट प्रसंग की मार्मिक चर्चा करते हुए कहा कि मनुष्य को अपने कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है।
प्रतापगढ़ से पधारे पंडित आशुतोष द्विवेदी मानस प्रवक्ता ने कहा सकारात्मक सोच ही व्यक्ति के जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है और नकारात्मक सोच ही सबसे बड़ा अभिशाप है। अपने मान का हनन करने वाला ही हनुमान है। जीव राम के नाम का सहारा लेकर ही भवसागर पार कर सकता है ।विभीषण जैसा संत जब तक रावण के साथ रहा तब तक वह सुरक्षित रखा, विभीषण को लात मारकर निकाल दिया तो उसका सर्वनाश हो गया।
इस मौके पर श्रीराम वाहिनी गोरक्ष सेवा न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश सिंह,हुँकार दास जी महाराज,राजमणि दूबे, रामप्यारे यादव,मुनिराज पाण्डेय,अरुण कुमार सिंह,सीताराम वर्मा,जय प्रकाश पाण्डेय,जय शंकर पाण्डेय दीपेश सिंह,ओम प्रकाश पाण्डेय,अशोक कुमार पाण्डेय सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे। लोकगायक राहुल पाण्डेय 'रमन' ने आये हुए लोगो का स्वागत कर आभार व्यक्त किया।
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