न्यायालय के आदेश को दरकिनार किया थाना अध्यक्ष ने
जितने भी जमीनी विवाद हो रहे है यह सब सम्बन्धित थानाध्यक्ष की देन है पीड़ित उन्हें सूचना देने के बाद लगातार चक्कर लगा रहा होता है उसके बाद भी शिकार हो जाता मारपीट का अगर थाना अध्यक्ष तुरंत मामले को गंभीरता से ले और दोषी पर तुरंत कड़ी कार्यवाही करे तो विवाद को रोका जा सकता है
मेरी जानकारी में खुटहन थाना क्षेत्र के पनौली गाँव का मामला है जिला न्यायालय के आदेश पर भी नहीं कार्यवाही कर रहे थानाध्यक्ष पीड़ित ने बताया कि लगभग 40 वर्षो से मुकदमा चल रहा था पीड़ित के पक्ष में फैसला भी है विपक्षी उनकी जमीन पर दबंगई के दम पर 2008 के बाद से ज़बर्दस्ती छप्पर रखता चला आ रहा है लेकिन जिला न्यायालय के आदेश पूरा अपने पक्ष में जाने बाद पीड़ित ने विपक्षी द्वारा छाए जा रहे छप्पर को स्थानीय पुलिस की मदद से रोका दोनों पक्षों को थाने पर बुलाया गया और दरोगा जी द्वारा न्यायालय के आदेश को देखते हुए कहा की पीड़ित जमीन को छोड़कर आप छप्पर रखिए ये कोर्ट का आदेश हम उसका पालन करेंगे लेकिन 10 दिन बाद विपक्षी दबंगों ने पीड़ित के यहाँ कोई नहीं था मौका देखकर छप्पर रख लिया कल मिली जानकारी के अनुसार फिर दोनों पक्षों को थाने पर बुलाया गया
अब देखने की बात ये है क्या खुटहन थानाध्यक्ष खुद अपने कहे हुए आदेश का पालन करवाते हुए विपक्ष के ऊपर कार्यवाही करते है या पीड़ित को दोषी बनाते है
अब अगर पीड़ित इसमे विपक्ष से रोकने की कोशिश करता तो मारपीट की नौबत आ सकती है क्या पीड़ित को न्याय मिलेगा यह भी अभी प्रस्नवाचक चिह्न बना हुआ है
अगर दरोगा जी द्वारा न्यायालय के आदेश का पालन करवाते हुए विपक्ष के ऊपर निष्पक्ष सही न्याय करते हुए भू माफिया के तहत कार्यवाही की जाए तो ऐसे में ऐसी घटना को रोका जा सकता है
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