ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण के विरोध में आजमगढ़ के विद्युत कर्मियों का विशाल प्रदर्शन
आजमगढ़: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन और विद्युत तकनीकी कर्मचारी एकता संघ के प्रदेशव्यापी आह्वान पर आज मंगलवार, 1 मई 2025 को आजमगढ़ के विद्युत कर्मचारियों, अभियंताओं, अधिकारियों, अवर अभियंताओं, तकनीकी कर्मचारियों और विद्युत संविदा कर्मचारियों ने ऊर्जा क्षेत्र के निजीकरण के विरोध में एक विशाल मोटरसाइकिल रैली निकाली।
विश्व मजदूर दिवस के अवसर पर आयोजित इस रैली में बड़ी संख्या में विद्युत विभाग के कर्मियों ने कार्यालय समय के बाद, शाम 5:00 बजे, सिधारी स्थित हाइडिल कॉलोनी से भाग लिया। रैली हाइडिल कॉलोनी से शुरू होकर शंकर तिराहा, सिधारी नया पुल, रैदोपुर, एलवल, बड़ादेव, नगर पालिका चौराहा, कलेक्ट्रेट, चर्च चौराहा होते हुए नरौली से वापस सिधारी हाइडिल कॉलोनी पर समाप्त हुई।
रैली के दौरान कर्मचारियों ने उत्तर प्रदेश विद्युत विभाग के दो बड़े डिस्काम - पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड - के पीपीपी मॉडल के आधार पर निजीकरण के विरोध में जमकर नारे लगाए। उन्होंने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का पुरजोर विरोध करते हुए संकल्प लिया कि वे किसी भी हालत में निजीकरण नहीं होने देंगे। कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि ऊर्जा प्रबंधन बिजली का निजीकरण कर प्रदेश की जनता और विद्युत उपभोक्ताओं को मोमबत्ती-लालटेन युग में वापस धकेलने का प्रयास कर रहा है और उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन औद्योगिक अशांति का माहौल बना रहा है।
इस रैली का मुख्य उद्देश्य जन समर्थन जुटाकर एक मजबूत शक्ति के रूप में बिजली के निजीकरण के प्रस्ताव को वापस लेने के लिए जन जागरण करना था। रैली में विद्युत विभाग के सभी अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।
विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति के संयोजक प्रभु नारायण पाण्डेय 'प्रेमी' ने कहा कि निजीकरण के बाद विद्युत कर्मियों की बड़े पैमाने पर छंटनी होगी और उनकी सेवा शर्तें प्रभावित होंगी, जिससे विद्युत विभाग में रोजगार के अवसर समाप्त हो जाएंगे और कार्यरत कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि निजीकरण के बाद आम जनता को मिलने वाली बिजली की दरों में भारी वृद्धि होगी, जिससे आम जनमानस और प्रदेश के किसानों को महंगी बिजली खरीदने पर मजबूर होना पड़ेगा और दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं की कीमतें भी बढ़ जाएंगी, क्योंकि लगभग सभी उद्योग बिजली से ही चलते हैं।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन और विद्युत तकनीकी कर्मचारी एकता संघ के सभी सदस्यों में निजीकरण को लेकर गहरा आक्रोश है। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री से व्यापक जनहित में निजीकरण के प्रस्ताव को निरस्त करने की अपील की है।
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